Roja Rakhne Ki Niyat रोजा रखने की नियत महीने मुबारक रमज़ान शरीफ बरकतों का महीना और ज्यादा से ज्यादा इबादत करके सबाब हासिल करने का मुक़द्दस महीना हैं .इस महीने में हर मुस्लमान को अपने कभी कार्यों के लिए माफ़ी जरूर मांगनी चाहिए ये वह बरक़त का महीना हैं जिसमे बड़े से बड़े गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं
रमज़ान इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है मुस्लिम समुदाय इस महीने को बेहद पाक महीना मानता है इस पुरे महीने हर मुस्लमान अल्लाह का शुक्र अदा करता हैं रोज़ा रखता हैं इबादत करता हैं लोगो की मदद करता हैं अपनी कमाई के एक हिस्से से जरुरतमंदो की मदद करता हैं इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र का त्यौहार मनाया जाता हैं
Roja Rakhne Ki Niyat रोजा रखने की नियत
मुसलमान अल्लाह के हुक्म की तामीर के लिए कई घंटों तक भूखा प्यासा इबादत में लगा रहता हैं और अच्छे अच्छे कामो को करके अपने अल्लाह को राज़ी कर लेना चाहता हैं अल्लाह अपने बन्दे की इस इबादत का नेक सिला उस बन्दे को जरूर देता हैं और अपने रहमत से नवाज़ता हैं रमजान का चाँद देख कर इस पाक महीने की शुरुआत होती हैं जैसे ही चाँद दिखता हैं लोग इबादत में लग जाते हैं और ज्यादा से ज्यादा सवाब हासिल कर लेना चाहते हैं
हम सभी इसकी शुरुआत रोजों से करते हैं,रोजा रखने से पहले उसकी नियत की जाती हैं जो कुछ इस तरह से हैं.
“विसौमें गदिन नवैतो लील ला हे ताला मिन शहरे रमज़ान”
(मैं अल्लाह की रज़ा के लिए रमजान के महीने के लिए उपवास रखने का इरादा रखता हूं)