Quran Se Sabit Allah Ke Pyare Nabi Jinda Hain-कुर्आन-व-हदीस कि रोश्नी में अहलेसुन्नत वल-जमाअत का यह अकिदाह हैं कि हुजूर नबी-ए-अकरम नुरे मुजस्सम सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम अपनी कब्र-ए-अन्वर में बहयाते हकिकि (जिस्म के साथ) के साथ जिंदा हैं.
कानुन-ए-कुदरत के मुताबीक मौत का हुक्म आप सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को अपनी कब्र में उतारा गया, कानुन-ए-कुदरत पुरा होने के बाद आप सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम उसी तरहा जिस्म के साथ जिंदा-व-सलामत हैं।
Quran Se Sabit Allah Ke Pyare Nabi Jinda Hain-अल्लाह के नबी जिंदा हैं
कुर्आन-ए-पाक
* ये नबी (सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम) मुसलमानों का उनकि जान से जियादा मालीक हैं ” [सुरह अल-अहज़ाब आयत:06 पारा:21 कंन्जुलईमान]
*और जो खुदा कि राह में मारें जाऐं उन्हें मुरदाह ना कहों, बल्की वोह जिंदा हैं हां तुम्हें खबर नहीं ” [सुरह बकरह आयत:154 पारा:02 कंन्जुलईमान]
*और अगर वोह अपनी जानों पर झुल्म करें, तो ऐ महबुब तुम्हारे हुजूर हाजिर हों और फिर अल्लाह से मुआफि चाहें और रसुल उनकी शफाअत फर्मायें तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा कबुल करनेवाला महरबान पायें ” [सुरह निसा आयत:64 पारा:05 कंन्जुलईमान].
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Allah Ka Tohfa Namaz Is Also Good For Body
अहादीस -ए- पाक
हज़रत अबुदर्दा रदीअल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि रसलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने इर्शाद फरमाया.. मुझपर जुमआ के रोज़ दुरूद शरीफ कि कसरत किया करों, क्यों कि इस दिन मलाईका हाजिर होतें हैं और जबभी कोई मुझपर दुरूद शरीफ पढता है तो वोह दुरूद शरीफ उसके फारीग होते ही मुझपर पेश करदीया जाता है।
हजरत अबुदरदा कहतें हैं कि मैंने अर्ज कि, क्या वफात के बाद भी ..?
तो आप सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम ने फरमाया ” हां, वफात के बाद भी क्यों कि अल्लाह तआला ने जमीन पर नबीयों के जिस्मों का खाना हराम करदीया हैं पस अल्लाह का नबी जिंदा होता हैं उसे रिज्क भी दिया जाता है।
[इब्ने माजाह सफह:119, मिश्कात शरीफ किताब उस-सलात बाब उल-जुमआ]
हजरत सय्यदना अनस बिन-मालिक रदीअल्लाहुअन्हु फरमाते हैं कि रसुलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम ने इर्शाद फरमाया ” अल्लाह तआला के तमाम नबी जिंदा हैं, अपनी कब्रों में नमाजें पढतें हैं ”
[फथअलमुलहीम शरह सहीह मुस्लिम जिल्द:1 सफह:329, मुसनद अबीयाअला जिल्द:6 सफह:147]
Quran Se Sabit Allah Ke Pyare Nabi Jinda Hain-अल्लाह के नबी जिंदा हैं
सय्यदी आलाहजरत क्या खूब अकिदाह बयान फरमाते हैं
आंम्बिया को भी अजल आनी हैं मगर ऐसी के फकत आनी हैं
फिर उसी उनके बाद उनकि हयात मिस्ले साबीक वही जिस्मानी हैं
अगर किसी को मुसलमान करना हो तों उसे कल्मा पढाकर इस्लाम में दाखिल किया जाता हैं
कल्मा का तर्जमा: ” अल्लाह के सिवा कोई माबुद नही और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम अल्लाह के रसुल हैं ”
गौर किजीए शब्द ‘ हैं ‘ पर
ये शब्द हमेशा जिंदा और मौजुद के लिए आता है यानी जो मौजुद हो उसे ‘ हैं ‘ कहते हैं और जो ना हों उसे ‘ था ‘ कहते हैं अलहमदुलिल्लाह कल्मा-ए-तैय्यबा में अल्लाह तआला ने वाजेह फरमादीया कि ‘ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम अल्लाह के रसुल हैं ‘ .. यहां ये मस्अला मालुम हुवा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम जिंदा हैं।
Quran Se Sabit Allah Ke Pyare Nabi Jinda Hain-अल्लाह के नबी जिंदा हैं
उसी तरह नमाज में पढा जाता हैं कि ” ऐ नबी सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम आप पर सलाम हों और अल्लाह कि रहमत ” (अत्तहीयात)
सोचने कि बात ये है कि माजअल्लाह हुजूर नबी-ए-पाक सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम अगर जिंदा नही हैं तो कल्मा शरीफ, नमाज, अजान वगैराह में आप सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम को क्यों पुकारा जाता हैं और उनपर सलातो सलाम क्यों पेश किया जाता हैं यही वजह हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम बहयाते हकिकि जिंदा हैं इसी लिए अल्लाह तआला नें अत्तहीयात में नबी अलैहीस्सलाम पर सलाम पेश करनें का हुक्म फरमाया है।
सुरह आलेइमरान आयत:169 में रब तआला नें शहीदों के लिए इर्शाद फरमाया कि ‘ और जो अल्लाह कि राह में मारें गयें, हरगीज उन्हें मुरदाह खयाल ना करना बल्की वोह अपने रब के पास जिंदा हैं, रोजी पातें हैं ‘
जिस नबी का कल्मा पढने वाला एक आम उम्मती शहीद होने के बाद जिंदा हैं तो उस प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम कि हयाते तैय्यबा का क्या आलम होगा, जहां खुदा कि खुदाई हैं वहां हुजूर सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम कि बादशाही है बेशक आपकी नुबुव्वत-व-रिसालत का दौर कभी खत्म नही होगा, कयामत तक कल्मा, नमाज, वगैराह में आप सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम के नाम का सिक्का जारी रहेगा।
जो बदबख्त, बद-अकिदाह हुजूर सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम कि हयाते मुबारका का इनकार करतें हैं वोह कुर्आन-व-अहादीस का इनकार करतें हैं उनहें चाहीये कि अपने गलत अकाईद से तौबा करें। और जो कुर्आन-व-अहादीस का इनकार करें वोह दायरा-ए-इस्लाम से खारीज है।
ये अकिदाह रख्ना जरूरी हुवा कि
” हुजूरे पाक सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम जिंदा हैं और जो आपको जिंदा ना मानें वोह दायरा-ए-इस्लाम से खारीज (यानी काफिर) हैं ”