Prophet Hazrat Mohammad Symbol Of Self-Control And Discipline पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने Self-Control And Discipline को किस तरह एक मुस्लमान अपने जीवन में अपनाये ये तोहफा अल्लाह तआला की तरफ से हमे दिया गया हैं.
पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जब इस्लाम की दावत के लिए लोगो को अपना सन्देश देना शुरू किया,उस वक़्त के हालत इस क़दर ख़राब थे,इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि एक कबीले के मेहमान का ऊंट दुसरे कबीले कि चरागाह में गलती से चले जाने कि छोटी सी घटना से उत्तेजित हो कर जो अरब के लोग चालीस साल तक ऐसे भयानक रूप से लड़ते रहे थे,कि दोनों पक्षों के कोई सत्तर हज़ार आदमी मारे गए और दोनों कबीलो के पूरे विनाश का भय पैदा हो गया था.
पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आत्मसयंम और अनुशासन के प्रतीक
उस उग्र क्रोध से भरी और हर वक़्त लड़ाई पर उतारू कौम को पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने Self-Control And Discipline की ऐसी शिक्षा दी की वे आपस में सब एक हो गए और एक अल्लाह की इबादत करने लगे.
Prophet Hazrat Mohammad Symbol Of Self-Control And Discipline
Islam Hame Kya Sikhata Hai
पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमेशा युद्ध को हर संभव टालने का प्रयास किया.विरोधियों से समझौते और मेल मिलाप के लिए आपने बार-बार प्रयास किये, लेकिन जब सभी प्रयास विफल हुए और हालात ऐसे पैदा हो गए की आपको केवल बचाव के लिए लड़ाई के मैदान में आना पड़ा तो अपने रणनीति को बिलकुल नया रूप दिया.
पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आत्मसयंम और अनुशासन के प्रतीक
अपने अपने जीवन काल में जितनी भी लड़ाईयाँ हुए यहाँ तक की पूरा अरब आपके अधिकार क्षेत्र में आ गया,उस पर भी इंसानी जानो की संख्या सौ से अधिक नहीं थी.अपने अन्य बर्बर कौमो को एक अल्लाह के लिए नमाज़ की शिक्षा दी और नमाज़ अकेले के बजाये सामूहिक रूप से अदा करने को कहा.
यहाँ तक की युद्ध के दौरान भी नमाज़ के निश्चित रूप से कुछ लोगो का समूह नमाज़ पढ़ता था,और दूसरा समूह उनकी रक्षा करता था.
यहाँ तक की आपके द्वारा युद्ध में हारे हुए लोगो के प्रति करुणा और प्रेम था .इतना सब होने के बाद भी बिना किसी शक और सुबा के आप सबको आज़ाद और माफ़ कर दिया करते थे.