Musalman Mansahari Kyu Hote Hain-मुस्लमान मांसाहारी क्यों होते हैं?-शाकाहार ने अब संसार भर में एक आंदोलन का रूप लें लिया हैं बहुत से लोग इसको जानवरो के अधिकार से जोड़ते हैं .इसमें कोई शक नहीं हैं की एक बड़ी जनसंख्या मांसाहारी हैं,और अन्य लोग मांस खाने को जानवरो के अधिकारों का हनन मानते हैं.
इस्लाम प्रत्येक जीव और प्राणी के प्रति स्नेह और दया का निर्देश देता हैं.साथ ही इस्लाम इस बात पर भी जोर देता हैं कि अल्लाह ने धरती,पेड़-पौधे और छोटे बड़े हर प्रकार के जानवर को इंसान के लाभ के लिए ही पैदा किया हैं .अब इंसार पर ये निर्भर करता हैं कि वह अल्लाह की दी हुई नेमत और अमानत के रूप में मौजूद प्रत्येक स्रोत को वह किस प्रकार से उचित इस्तेमाल करता हैं.
Musalman Mansahari Kyu Hote Hain-मुस्लमान मांसाहारी क्यों होते हैं ?
आइये इस बात के कुछ अन्य पहलू पर भी विचार करते हैं,एक मुसलमान पूरी तरह से शाकाहारी हो सकता हैं-एक सही अक़ीदा मुस्लमान पूर्ण रूप से शुद्ध शाकाहारी हो सकता हैं.मुस्लमान होने के लिए इंसान के मांसाहारी होने की कोई शर्त नहीं हैं.
अल्लाह की किताब-क़ुरान मजीद मुसलमानो को किस तरह का मांसाहार करना चाहिए इसकी भी शिक्षा देता हैं.
जिसका सबूत क़ुरआन करीम की ये आयत हैं.
ऐ ईमान वालो ! अपने हर जिम्मेदारियों को पूरा करो,
तुम्हारे लिए चार पैरो वाले जानवर जायज़ हैं.
केवल उनको छोड़ कर जिन्हे तुम पर हराम करकर दिया गया हैं
कुरआन करीम 5:1
Musalman Mansahari Kyu Hote Hain-मुस्लमान मांसाहारी क्यों होते हैं ?
मांसाहारी खाने में भरपूर उत्तम प्रोटीन होता हैं इसमें 8 प्रकार के आवशयक एमिनो एसिड पाए जाते हैं,जो शरीर के भीतर नहीं बनते हैं.और जिनकी पूर्ति आहार के द्वारा ही की जाती हैं.मांस में लोह,विटामिन बी-1 और नियासिन भी पाए जाते हैं.
अल्लाह ने इंसान के दांतो को दो प्रकार की क्षमता दी हैं जो की शाकाहारी और मांसाहारी जानवरो दोनों में पायी जाती हैं.अल्लाह इंसानो को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करने के लिए नुकीले और सीधे दोनों तरह के दांत दिए हैं.इसके अलावा इंसान में पाचन तंत्र भी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन को पचाने की क्षमता के साथ बना हुआ हैं.
दुनिया की ज्यादातर आबादी को अगर आप ध्यान से देखेंगे,तो आपको ज्यादातर लोग मांसाहारी ही दिखेंगे.बहुत सारी भ्रांतियों के कारण सिर्फ मुसलमानो को भी अधिक मांस खाने वाले कहा जाता हैं.जब कि क़ुरआन मजीद में अल्लाह ने साफ़ कह दिया हैं कि मुस्लमान होने के लिए मांसाहारी होने की कोई शर्त नहीं हैं.