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Kya Quran Ki Ayat Ko Badla Ja Sakta Hai ? क़ुरआन मजीद के संदेशो को बदला जा सकता हैं ?

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Kya Quran Ki Ayat Ko Badla Ja Sakta Hai ? क़ुरआन मजीद के संदेशो को बदला जा सकता हैं ? इस बारे में खुद क़ुरआन मजीद ने ये वाज़ेह कर दिया हैं कि “तेरे रब की तरफ से दिए जाने वाले अहकाम और कानून,सच्चाई और इन्साफ के साथ पूरी तरह से मुकम्मल हो गए हैं अब उनमे तबदीली करने वाला कोई नहीं हैं”

क़ुरआन अल्लाह तआला का कलाम हैं और खुद खुदा ने क़ुरान में ये वजेह कर दिया हैं कि क़ुरान की हिफाजत का जिम्मा उसने खुद ले लिए हैं. क़ुरान नाज़िल होने के 1400 साल के इतिहास में क़ुरान जैसा पहला था आज भी वैसा ही हैं और ता क़यामत तक एक एक हर्फ़ ऐसा ही रहेगा.

Kya Quran Ki Ayat Ko Badla Ja Sakta Hai ? क़ुरआन मजीद के संदेशो को बदला जा सकता हैं ?

क्यूकी जहाँ कई ऐसी किताबे हैं,जिनको इंसानो ने लिखा हैं और उसके मायने तक तब्दील कर दिए हैं. वही अल्लाह तआला ने अपने अपने हबीब हज़रत मोहम्मद सल्ल को क़ुरान का रहनुमा बनाया और क़ुरान का सन्देश तो दिया ही साथ ही क़ुरान का सारा इल्म भी हमारे नबी हज़रत मोहम्मद सल्ल को आता कर दिया हैं .

क़ुरान में बहुत जगह ऐसी आयते और हर्फ़ हैं जिसके मायने आज तक नहीं पता हैं किसी को,क्यूकी ये आयते सिर्फ और अल्लाह ने अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्ल को ही बतलायी हैं जैसे….

अलिफ़ लाम मीम

क़ुरान के ये वो हर्फ़ हैं जिसको सिर्फ अल्लाह और अल्लाह के नबी अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद सल्ल ही जानते हैं.इसी तरह बहुत सारी ऐसी आयते हैं,जिसके मायने अल्लाह और अल्लाह के नबी सल्ल ही जानते हैं.क़ुरान में अल्लाह ने भी बतला दिया हैं की क़ुरान का ज्ञान इतना हैं कि दुनिया में जितने पेड़ हैं उनको तुम कलम बना लो और सागर के पानी में ७ सागर का पानी और मिला कर तुम उसकी स्याही बना लो और फिर तुम क़ुरान के ज्ञान को न ही लिख पाओगे और न ही समझ पाओगे .और अल्लाह ने सिर्फ अपने महबूब नबी हज़रत मोहम्मद सल्ल को ही ये क़ुरान का पूरा सन्देश बता दिया हैं और समझा दिया हैं.

Kya Quran Ki Ayat Ko Badla Ja Sakta Hai ? क़ुरआन मजीद के संदेशो को बदला जा सकता हैं ?

क़ुरान को जो आयते हम मुसलमानो को अल्लाह की अता से हमारे नबी सल्ल ने दी हैं,वह ही काफी हैं,और इन संदेशो का पालन करके हम अपनी आख़िरत को बना सकते हैं .क़ुरान के सन्देश यदि एक मुस्लमान अच्छे से समझ ले तो दुनिया की कोई परेशानी उसके पास तक नहीं आ सकती हैं और अल्लाह की रहमत का वो ऐसा हक़दार होगा, जो उसने कभी सोचा न होगा ,इस तरह क़ुरान ने हमे बता दिया हैं कि क़ुरआन मजीद के संदेशो को ता क़यामत तक कोई नहीं बदल सकता हैं.

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