Kya Bol Kar Namaz Ki Niyat Ki Ja Sakti Hain ? पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ की नियत को दिल में करना काफी माना हैं,और बाद में हमारे नबी सल्लहि के साहाबियों ने भी नमाज की नियत के लिए दिल में नियत को करना काफी माना.अब बात आती है कि अगर बोल कर नमाज़ की नियत कर ली जाये तो क्या नमाज़ क़बूल होगी या नहीं?
तो इसका आसान सा जवाब ये हैं कि पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ की नियत को दिल में ही करने का हुक्म नहीं दिया.यदि ऐसा होता तो नमाज़ की नियत को दिल में करना हमारे नबी सल्लहि की सुन्नत में शुमार हो जाता.नमाज़ की नियत का मामला नमाज़ के शुरू होने से पहले का होता हैं,नियत करना नमाज़ में शामिल नहीं हैं.
Kya Bol Kar Namaz Ki Niyat Ki Ja Sakti Hain ? क्या बोल कर नमाज़ की नियत की जा सकती हैं?
अलबत्ता क्या बोल कर नमाज़ की नियत से नमाज़ ख़राब हो जाती हैं इसका शरीयत और हदीसों की किताबो में कही जिक्र नहीं मिलता हैं इसके उलट हदीसों की किताबो में बोल कर नमाज़ की नियत अच्छा माना गया हैं.
5 वक़्त की नमाज़ और रकाते
फज़र-4 Rakat (2 Sunnat Aur 2 Farz).
जोहर-12 Rakat (4 Sunnat + 4 Farz + 2 Sunnat + 2 Nafil)
असर-8 Rakat (4 Sunnat + 4 Farz)
मगरिब-7 Rakat (3 Farz + 2 Sunnat + 2 Nafil)
ईशा-17 Rakat (4 Sunnat + 4 Farz + 2 Sunnat + 2 Nafil + 3 Vitr + 2 Nafil)
सला (सलात) नमाज़ मुस्लिमों की अनिवार्य प्रार्थना है, मुसलमानों द्वारा प्रत्येक दिन पांच बार नमाज़ को अदा किया जाता है। यह इस्लाम का दूसरा स्तंभ है सभी तारीफ, प्रार्थना और सुंदर भाव अल्लाह के लिए हैं। शांति तुम पर हो, हे रसूल, और अल्लाह की दया और आशीर्वाद शांति हम पर और ईश्वर के सभी धर्मी सेवकों पर हो। मैं इस बात का गवाह हूं कि कोई भी अल्लाह को छोड़कर किसी की भी इबादत नहीं करना हैं.