Johar Ki Namaz Kaise Padhe ? ज़ुहर नमाज़ में कितने रकात होती हैं ? अल सलाम अलेहकुम,ज़ुहर की नमाज़ दिन की दूसरी नमाज़ होती हैं,जिसका वक़्त दोपहर में करीब 12.30 से शुरू हो जाता हैं इस नमाज़ में 12 रकात होती हैं, ये रकात इस तरह अदा की जाती हैं.4 सुन्नत 4 फर्ज 2 सुन्नत 2 नफ़िल इस नमाज़ में हम 4 रकत फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना सीखेंगे.
ये 4 रकत नमाज़ फ़र्ज़ ज़ुहर की नमाज़ का तरीका है.नमाज़ पढ़ने से पहले वुजू करले और नमाज़ के लिए खड़े हो जाये .
सबसे पहले ज़ोहर की फ़र्ज़ नमाज़ अदा करने की नियत करे उसके बाद तकबीर -ए -तहरीमा करे,यानी अपने दोनों हाथो अपने कानो तक ले जाकर दोनों हाथ के अंघूठे कानो की लोह पे लगाए,कान के निचले हिस्से पे,फिर कहे अल्लाह-ओ-अकबर कह कर अपना दोनों हाथ बाँध ले हाथ नाफ के नीचे रख कर बाँध ले बाए हाथ के ऊपर दायां हाथ आना चाहिए और गिरिफ्त बना कर दायें हाथ से बाएं हाथ को बांध ले.
Johar Ki Namaz Kaise Padhe ? ज़ुहर नमाज़ में कितने रकात होती हैं ?
फिर सना पढ़े.
सना
सुभानाकल्ला हुम्मा वबी हमं दीका आता बारो कसमूका व ता अला जद्दू का व ला इलाहा गेरुक
इस के बाद ता ‘अवुज़ पढ़े
आओ ज़ू बिल्लाहि मिनश शैतानीर राजिम फिर तस्मियाह पढ़े बिमिललाह हिर रहमानिर रहीम इस के बाद सूरह फातेहा पढ़े.
सूरह फातेहा
अल्हम्दो लिल्लाहि रब्बिल आलमीन अर रहमानिर रहीम मालिकी योमीद दीन ऐय्याका काना बदू व ऐय्याका का नस्तईन ऐहदिनस सिर्तुअल मुस्तक़ीम सिर्तुअल लज़ीना अन अमता अलैहिम गैरिल मग्दूबे अलैहिम वलद दुआलीन अमीन
फिर क़ुरान पाक की कोई सी भी सूरह की तिलावत करे सूरह छोटी भी पढ़ सकते है जैसे सूरह फलक , सूरह नास , सूरह काफ़िरून,सूरह फील ,सूरह इखलास.
सूरह इखलास
कुल हुवल -लाहु अहद अल्ला हुस समद लम यालिद आलम यूलड आलम याकुल लहू कुफुवां अहद
फिर ये कहे अल्लाह-ओ-अकबर और रुकू में जाये अपना दोनों हाथ अपने घुटनो पर रखे और ये तस्बी 3, 5,या 7 दफा पढ़े.
सुभहाना रबी यल अज़ीम
उस के बाद तस्मे ए यानी ये अल्फ़ाज़ कह कर सीधा खड़े हो जाये.
समी अल्लाहू लेमन हमीदह
फिर सीधा खड़े खड़े ये कहे.
रब्बना लकल हम्द
फिर सजदा में जाए अल्लाह-ओ-अकबर कहते हुए.
Johar Ki Namaz Kaise Padhe ? ज़ुहर नमाज़ में कितने रकात होती हैं ?
सजदा में जाते हुए ज़मीन पर पहले घुटना रखे ,फिर हाथ रखे ,फिर दोनों हाथो के दरम्यान इस तरह चेहरा रखे की पहले नाक और फिर माथा ज़मीन पर आये और हाथ इस तरह रखे की उंगलिया क़िबला रुख हो.
नोट (पैर खड़े रखे और नीचे पैर की उंगलिया फोल्ड होनी चाहिए ताकि पैर की उंगलिया भी सजदा करे ,पेट रनो से नहीं लगने चाहिए मर्द का)
और सजदे में ये तस्बी पढ़े.
सजदा
सुभाना रबी यल आला
ये तस्बी 3,5,या 7 दफा भी पढ़ सकते है
फिर अल्लाह-ओ-अकबर कह कर बैठ जाए और अपना दायां पैर खड़ा रखे और उल्टा पैर के ऊपर बैठ जाए
फिर दूसरा सजदा करे और यह तस्बी पढ़े .
सुभाना रबी यल आला
फिर अल्लाह-ओ-अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाए और दूसरी रकात पूरी करे जब दूसरा सजदा दूसरी रकत का करले तो बजाये सीधा खड़ा होने के वही बैठ जाए और तशाह हूद पढ़े.
अत हय्यातो लिल्लाहे वस्सलवातो वाट तैय्येबातो अस्सलामु अलैका अय्योहन नबियो व रहमतुल्लाहि व बरकतोह अस्सलामु अलैना व अला अबदिल्लाहिस सुअलैहीन अशदु अन ला इलाह इल्लल लाहो व अशदु एना मोहम्मदन अब्दोहू व रसूलुहू
तशाह हूद पढ़ते हुवे जब अशदु अन ला इलाह इल्लल लाहो पर पहुंचे तो दाए हाथ की शहादत की उंगली को छोड़ कर बाकी की तीनो उंगली को मुट्ठी की तरह बंद करले और अंघूठे को भी मिलाये और शहादत की उंगली को थोड़ी देर के लिए उठा कर गिरा दे.
फिर अल्लाह-ओ-अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाए और हाथ बाँध कर अपनी तीसरे रकत पढ़े.
(ये फ़र्ज़ नमाज़ है इस में 3 रकत में सूरह फातेहा के बाद कोई सूरह नहीं पढ़ते सूरह फातेहा पढ़ने के बाद सीधा रुकू में चले जाते है)
इसी तरह चौथी रकात भी पढ़े जब चौथी रकात का दूसरा सजदा करले तो बजाये सीधा खड़ा होने के वही बैठ जाए और तशाह हूद पढ़े.
फिर दुरूद ए इब्राहिम पढ़े
अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिन व अला अले मोहम्मदिन कमा सल्लैता आला इब्राहिम व अला अले इब्रहिमा इन्नका हमीदुम मजीद अल्लाह हुम्मा बारीक आला मोहम्मदिन व अला अले मोहम्मदिन कमा बरकता अला इब्राहिम व अला अले इब्रहिमा इन्नका का हमीदुम मजीद
फिर क़ुरान और हदीस में से कोई दुआ पढ़े.
दुआ-1
अल्ला हुम्मा इन्नी जलमतहू नफ़्सी ज़ुल्मान कसीरान व इन्नहू ला यगफरूज़ ज़ुनूबा इल्ला अंता फगफिरली मग़फ़िरतम मिन इनदिका वर्हाम्नी इन्नका अन्तल ग़फ़ूरुर रहीम
दुआ-2
अल्लाह हम्म रब्बना आतीना फिद दुनिया हसनाः व फील आख़िरते हसनः व कीना अज़ाबन नार
इन में कोई सी 1 दुआ पढ़ ले.
इस के बाद सीधे कंधे की तरफ मुँह कर के ये कहे.
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
फिर उल्टा कंधे की तरफ कर के ये कहे.
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
सलाम करते हुए नमाज़ी की नज़रे कंधो की तरफ होनी चाहिए.
आपकी नमाज़ पूरी हुई.