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Islam Me Mahilao Ka Sthan-इस्लाम में महिलाओं का स्थान

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Islam Me Mahilao Ka Sthan-पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लोगो के दिल में ऐसा परिवर्तन किया कि उस समय अरब के सबसे पवित्र और सम्मानित समझे जाने वाले परिवारों ने नीग्रो गुलामो के साथ अपनी बेटियों से निकाह (विवाह) भी कराया.

इस्लाम के दूसरे खलीफा और मुसलमानो के सरदार जो इतिहास में उमर महान (फ़ारुखे आज़म) के नाम से प्रसिद्ध हैं,वो तक हज़रत बिलाल जो एक पहले एक गुलामो में से एक थे,उनको देखते ही तुरंत खड़े हो जाते और इन शब्दों से उनका स्वागत करते.हमारे बड़े हमारे सरदार आ गए.

Islam Me Mahilao Ka Sthan-इस्लाम में महिलाओं का स्थान

धरती पर उस वक़्त सबसे अधिक अभिमानी कौमो को अल्लाह के रसूल (सल्ल.) और अल्लाह की किताब Quraan ने कितना बदल दिया था उसके बारे में बहुत से विद्वानों ने पवित्र क़ुरआन के बारे में अपने विचार इस तरह से प्रकट किये.

यह किताब हर युग में लोगो पर अपना सबसे अधिक प्रभाव डालती रहेगी,अगर अगले सौ साल में इंग्लैंड ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप पर अगर किसी धर्म के फैलने की सम्भावना हैं तो वह इस्लाम धर्म हैं.

इस्लाम की यह लोकतांत्रिक विशेषता हैं कि उसने स्त्री को पुरुष की दासता से आज़ादी दिलाई.इस्लाम की शिक्षा यह हैं की मानव अपने स्वाभाव कि दृस्टि से बेगुनाह हैं. इस्लाम सिखाता हैं कि स्त्री और पुरुष दोनों एक ही तत्व से पैदा हुए हैं,दोनों में एक ही आत्मा हैं और दोनों में उसकी सामान रूप से क्षमता पायी जाती हैं कि वे मानसिक आध्यत्मिक और नैतिक नजरिये से उन्न्नति कर सके.

Islam Me Mahilao Ka Sthan-इस्लाम में महिलाओं का स्थान

पूरे विश्व में ये परंपरा बहुत ही मजबूत तरीके से पायी जाती थी कि विरासत का अधिकारी अकेला वही इंसान हो सकता हैं जो युद्ध कौशल में पारंगत हो और बाहुबल में मजबूत हो.लेकिन इस्लाम नारियों के लिए एक रक्षक बन कर आया और उसने नारियों को पैतृक संम्पति में हिस्सेदार बनाया और औरतों को आज से सदियों पहले ही पैतृक संम्पति का अधिकार दे दिया.इसके बाद कई सदियों के बाद अन्य देशो ने भी नारियों को पैतृक संम्पति में हिस्सेदार बनाने के कानून को पास किया.अन्य देशो के पैतृक संम्पति में हिस्सेदार बनाने के कानून के पास होने पहले ही क़ुरआन ने बहुत पहले ही औरतो के अधिकारों के बारे में बता दिया हैं.

औरत और मर्द युग्म में,औरतें मर्दों का दूसरा हिस्सा हैं,औरतों के अधिकार का आदर होना चाहिए,इस बात का ध्यान रहे कि,औरत अपने निश्चित अधिकार प्राप्त कर पा रही हैं या नहीं .

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