Islam Deen Ki Taleem इस्लाम की मुकम्मल तालीमात लेना और उस पर अमल करना जरुरी होता हैं ? जी हाँ इस्लाम की मुकम्मल तालीमात लेना और उस पर अमल करना बेहद जरुरी होता हैं,इसके बारे में अल्लाह तआला ने हमारे प्यारे नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जरिये से हम सब को बताया हैं कि “तुम पूरे तौर पर इस्लाम में दाख़िल हो जाओ,जो इंसान इस्लाम की कुछ ही तालीमात पर ही अमल करता हैं उससे शैतान का पैरोकार कहा गया हैं,जो मुसलमानो का खुला दुश्मन होता हैं “
जिस तरह जिंदगी में इंसान खुद को और दूसरो को उनके व्यक्तिव्त से उनको पहचानता हैं.उसी तरह किसी भी मुस्लमान के लिए दीन एक दिन में सीख लेना कभी मुमकिन ही नहीं हैं. ये तो वह ज्ञान हैं जो कभी ख़तम नहीं होगा. हर मुस्लमान को चाहिए की वह दीन की बुनियादी बातो को पहले मजबूत करे और साथ ही उसको अपनी जिंदगी में अपनाना शुरू कर दे.
Islam Deen Ki Taleem इस्लाम की मुकम्मल तालीमात लेना और उस पर अमल करना जरुरी होता हैं ?
माँ बाप का यही फ़र्ज़ हैं की अपने बच्चो को दुनियावी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम ज्यादा जरुरी हैं क्युकी इस्लाम और क़ुरान हर मुस्लमान के लिए हिदायत के रूप में हैं जब कोई मुस्लमान किसी दुःख या मुसीबत में होता हैं तो उसको उसका दीन और उसकी तालीम ही सहारा देती हैं और उसको फिर दोबारा खड़े हो कर मुसीबत से लड़ने की ताक़त देती हैं.
इस बात से हमे ये अहसास होता हैं कि इस्लाम दीन में दाख़िल होने के साथ ही हमे इस्लाम दीन की पूरी तालीमात पर भी जोर देना होता हैं.इससे हम अच्छे से अपने दीन को जानते हैं साथ ही और लोगो को भी इस्लाम के बारे में सही जानकारी देते हैं.