Hijab Pahnne Ka Maqsad-हिजाब या परदे से मुताल्लिक जो हुक्म और नियम इस्लाम ने हमको दिए हैं,उन पर अगर थोड़ा सा भी गौर कर लेंगे,तो समझ में आ जायेगा कि हिजाब पहनने के बहुत सारे नेक मक़सद हैं जो इस्लाम में औरतों के मर्तबे को बढ़ाता हैं.हिजाब पहनने के तीन बड़े मक़सद इस तरह से हैं.
Hijab Pahnne Ka Maqsad-इस्लाम की तरफ से सभी की इज़्ज़त को महफूज़ रखने का एक शानदार तोहफा हैं
पहला
औरतों और मर्दों के अख़लाक़ की हिफाजत की जाये,और उन खराबियों का दरवाजा बाद किया जाये,जो औरतों और मर्दों की मिली-जुली सोसाइटी में दोनों की आज़ादी के मिलने पर पैदा होती हैं.
दूसरा
औरतों और मर्दों के कार्य क्षेत्र को अलग किया जाये,ताकि इंसानी जिम्मेदारियां जो औरतों के सुपुर्द की हैं उन्हें वह इत्मीनान के साथ पूरा कर सके और जो जिम्मेदारियां मर्द के सुपुर्द हैं और उनको इत्मीनान के साथ पूरा करें.
Hijab Pahnne Ka Maqsad-इस्लाम की तरफ से सभी की इज़्ज़त को महफूज़ रखने का एक शानदार तोहफा हैं
तीसरा
घर और खानदान की व्यवस्था को मजबूत और महफूज़ किया जाये.जिसकी अहमियत जिंदगी की दूसरी व्यवस्थाओं से कम नहीं,बल्कि उससे बढ़ कर ही हैं.हिज़ाब या परदे के बगैर जिन लोगो के घर और खानदान की व्यवस्था को बनाया हैं,उन्होंने औरतों को गुलाम बना कर उनके अधिकारों से महरूम कर दिया हैं.और जिन्होंने हक़ देने के साथ भी औरतों के लिए परदे की पाबन्दी भी नहीं रखी हैं उनके घर और खानदान तक टूट गए या उन्हें समाज में अपमान का सामना करना पड़ा.
इस्लाम औरत को पूरे अधिकार देता हैं,जैसा उसने मर्दों को दिए हैं.और साथ में औरतों के लिए उनके परिवार और खानदान में उनकी इज़्ज़त और मान सम्मान को भी महफूज़ रखना चाहता हैं.यह मक़सद तब तक हासिल नहीं हो सकता हैं,जब तक इस्लाम में बताये गए हिजाब या परदे से मुताल्लिक हुक्म और नियम को मर्दो और औरतों को पूरी तरह से अमल में न लाया जाये.
हिजाब के इन नेक मक़सदों को अपने दिल से गौर करें,अख़लाक़ का मामला मर्दों और औरतों दोनों के लिए इस्लाम के दिए हुए अधिकारों में से एक हैं,इस लिए हिजाब पहनना इस्लाम की तरफ से सभी की इज़्ज़त को महफूज़ रखने का एक शानदार तोहफा हैं.